Poetry






ছায়াছবি সমাজ ভাবনার সহজ শব্দমালা রাফিয়া সুলতানার এটি চতুর্থ কাব্যগ্রন্থ। এর আগে কবিতা ছাড়া গল্প সংকলনও বের হয়েছে। তাঁর গল্প এবং কবিতা পড়ার এর আগেও সুযোগ হয়েছে। এবার কবি সেই সুযোগ আরও একধাপ বাড়িয়ে দিলেন।
দীর্ঘ বছর সাহিত্যজগতের গায়ে লেগে থাকা হেতু নানা ধরনের লেখা পড়া এবং শোনার সুযোগ আমার পক্ষে হওয়া স্বাভাবিক।
এ প্রসঙ্গে কবির অন্য একটি কাব্যগ্রন্থের একটি কবিতার লাইন মনে পড়ছে।'বারান্দাতে সময় কাটে’ কবিতায় দীঘির কালো জলে/থেকে থেকে পানকৌড়ি/ ডুবকি দেবার ছলে/ধরছে বুঝি মাছেরপোনা/স্বকীয় কৌশলে। ‘স্বকীয় কৌশলে’ শব্দ ব্যবহার করেন কবিতায়। আছে প্রকৃতির সঙ্গে পাখি জল গাছপালা নিয়ে অবসর সময় কাল। কবি রাফিয়া সুলতানা যে কতটা সমাজমনস্ক তাঁর নানা কবিতার মধ্য দিয়ে পাঠকদের দরবারে তা তুলে ধরেছেন। তাঁর আরও কবিতা পড়ার আগ্রহ জাগিয়ে রাখলেন কবি। নরেশ মণ্ডল কবি, কথা সাহিত্যিক, সাংবাদিক

কবিতায় হারানো সুর
এটি কবি রাফিয়া সুলতানার তৃতীয় কবিতার বই।শত কবিতা বিকশিত হয়েছে কবি মনে নানা ভাবভাবনার প্রতিফলন হিসাবে। একটা ধারণা থাকে কবি সম্পর্কে। তারা প্রকৃতিপ্রেমী।অগোছালো।উদাসীন জীবন ভাবনায়।
এই ধারণাটা একটা সময়ে সাধারণ মানুষের মনে ছিলো।অবশ্যই এ ধারণা এখন সময়ের সঙ্গে পাল্টে গেছে।প্রকৃতিকে কে না ভালোবাসে।পাহাড়,নদী,সমুদ্র, বন,পাখপাখালি। বাসস্থানের অবস্থান এবং জীবনযাপনের প্রভাব তো লেখক- কবিদের লেখনিতে ধরা পড়ে।
রাফিয়া সুলতানা কবিতা লেখায় পুরানো সাধু শব্দ ব্যবহারে সাচ্ছন্দ্য বোধ করেন।আসলে যে শব্দমালা নেড়েচেড়ে বড় হয়ে ওঠা,সেটাই ব্যবহারে সহজাত হয়ে উঠেছেন।'
শিল্পী যেমন ক্যানভাসে রঙের ছোঁয়ায় ফুটিয়ে তোলেন তাঁর ভাবনা,তেমনি কবিও শব্দের মালা গেঁথে সাজিয়ে তোলেন মনের ভাবনাকে।ভালো লাগবে ছোট বড় সকলের এটাই আশা। নরেশ মন্ডল,

" হাতে খড়ি "
সেই আদি কাব্যিক কাল অর্থাৎ বাল্মিকী মুনির আমল থেকেই নারী-পুরুষ (লেখক/ কবি গন ) নির্বিশেষে সকলে কিছু না কিছু প্রাকৃতিক সৌন্দর্য অথবা বাস্তবে ঘটে যাওয়া কিছু মুহূর্ত থেকে অথবা কখনো প্রেমে পড়ে কারো চোখ কারো ঠোঁট কারো চরিত্র গঠন দেখে প্রথম সৃজন মানে কলমের আঁচড়ে সাদা পাতায় অথবা মনের জমিতে লেখার বীজ অঙ্কুরিত হয়েছে …
উদাহরণ স্বরূপ আদি কবি বাল্মিকী মুনির প্রথম শ্লোক " মা নিষাদ প্রতিষ্ঠাং ত্বমগমঃ শাশ্বতীঃ সমাঃ। যৎ ক্রৌঞ্চমিথুনাদেকমবধীঃ কামমোহিতম্।"
তেমনি ভাবে " হাতে খড়ি " নামক যৌথ সংকলনটিতে ৩০ জন কবি/ লেখকের প্রথম লেখা কবিতা/গল্প কিংবা প্রবন্ধ স্থান পেয়েছে - এবং গ্রন্থটিতে লেখা গুলি সময়ের ক্রমন্বয়ে সাজানো হয়েছে !



About the book:
महिलाओं को अक्सर कोमल, संवेदनशील, भावनात्मक और कमजोर दिल के रूप में लेबल किया जाता है। जबकि महिलाएं अपनी भावनाओं के साथ दुनिया पर शासन कर सकती हैं, उन्हें गंभीरता से नहीं लिया जाता है। यह पुस्तक महिलाओं को घेरने वाली बाधाओं को तोड़ने की एक पहल है और कवयित्री सभी पाठकों को लैंगिक पूर्वाग्रहों को पहचानने और महिलाओं को महत्व देने के लिए प्रोत्साहित करती है। आखिरकार, महिलाएं जो अपनी भावनाओं को नियंत्रित करती हैं, अपनी भावनाओं को नियंत्रित करती हैं, अपनी ऊर्जा को सकारात्मक चीजों में लगाती हैं और अपने दिल की सुनती हैं, वे सबसे खुश हैं।
क्या आप सहमत हैं?

प्रस्तुत पुस्तक में विभिन्न विषयों को आधार बना कर कवयित्री द्वारा हाइकु विधा में लघु कविताओं का सृजन किया गया है । हाइकु जापानी काव्य विधा है । इसमें कुल सत्रह वर्ण ही होते हैं । ये कुल तीन पंक्तियों में लिखी जाने वाली लघु आकार की रचनाएं होती हैं । प्रथम पंक्ति में पाँच वर्ण होते हैं । द्वितीय पंक्ति में सात वर्ण तथा अंतिम तृतीय पंक्ति में पुनः पाँच वर्ण होते हैं । इनमें मात्राओं तथा संयुक्ताक्षरों की गणना नहीं की जाती । इन लघु कलेवर की रचनाओं को बहुत कुछ भारतीय काव्य विधा क्षणिका के समकक्ष माना जा सकता है । तो आइये । आनन्द लीजिये इन हाइकु रचनाओं का ।


हर किसी कि ज़िन्दगी में प्यार का अहम किरदार होते है किसी की ज़िन्दगी में ये किरदार अच्छे होते है तो किसी के खराब पर फिर प्यार किसी ना किसी मायने में जुड़ा रहता है हम सब से। कोई प्यार जता देता है तो कोई बता देता और कुछ अपने दिल में हि इसे छुपा के रखता है, कभी दोस्ती टूट जाने के डर से तो कभी इश्क़ मुकम्मल ना होने के डर में सहमा रहता है बस ये नादान दिल है जो नादानियां करता रहता है और सारे दुःख दर्द को जानते हुए भी ये इश्क़ करता रहता है। किसी कि दिल की बात तो किसी के जुबां की बात इन शब्दों के जाल से कविताओं में पिरोई है, किसी के दिल के हालातो को तो किसी के अज़ीज़ से जुड़े प्यार के रिश्तों की अहमियत को संझोई है। प्यार की कोई सीमाएं नहीं है पर कुछ हिस्से को इस पुस्तक में बयां करने की इक चोटी कोशिश की है।

About the book:
অনুভূতির প্রবাহ
আমরা সবাই জানি যে মনের ভাব অন্যকে বলে কিংবা লিখে বুঝানোর ক্ষমতা একমাত্র মানব জাতিরই আছে। যে যেভাবেই হোক প্রতিদিন আমরা তো এই বিশেষ কাজটিই অনবরত করে যাচ্ছি।
আমি যখন চতুর্থ শ্রেণীর ছাত্রী ছিলাম তখন থেকেই কবিতার প্রতি বিশেষ ভাবে আকৃষ্ট হই। কবিতা ভরা গাঙ্গে বাণ ডাকার মতো আমাকে উৎসাহ উদ্দীপনা জোগায়। বলতে গেলে চতুর্থ শ্রেণীতেই আমার কবিতাতে হাতে খড়ি আমার কবিতায় তাই আছে যেমন সুখের কবিতা,তেমনই দুঃখেরও।
প্রকৃতির মতোই কবিতার মাধ্যমে ব্যাক্তিগত ও সমষ্টিগত জীবনের ভাঙা গড়ার ছবি আঁকতে চেয়েছি।
আমি আমার আনন্দ সুধী সহৃদয় পাঠক - পাঠিকাদের সঙ্গে ভাগ করে নিতে চাইছি। পাঠক পাঠিকাদের প্রতি রইলো আমার অকুণ্ঠ শ্রদ্ধা ও ভালোবাসা।
ধন্যবাদ ও শুভেচ্ছান্তে আরতি চৌধুরী


About the book:
इस पुस्तक में सुश्री रंजना वर्मा जी ने अपनी ग़ज़लों के माध्यम से जीवन की सच्ची अनुभूतियों और वास्तविक तथ्यों को व्यक्त करने का प्रयास किया है। वास्तव में आज मनुष्य का खोता हुआ अस्तित्व, भूख, बेरोज़गारी, हिंसा और इन सब के फलस्वरूप उपजने वाले दर्द और पीड़ा के साथ सभी परिस्थितियों में धैर्य, साहस और सहनशीलता आदि से सामंजस्य स्थापित करने का जो प्रयास किया जाना चाहिये उस की अभिव्यक्ति रंजना जी की ग़ज़लों में है। कहते हैं कि उम्र के साथ ही अनुभव भी बढ़ता जाता है और रचनाओं में ऐसी परिपक्वता होती है कि जिस से आने वाली पीढ़ियों को भी सीखने का सबक मिलता है । और तब रंजना जी की क़लम उठती है और ये सीख देती है ।

About the book:
किसी ने बताया नहीं था, पर बचपन में ही यह जान लिया था कि कविताओं में प्रेम का और प्रेम में कविताओं का बड़ा महत्व है.






About the book:
यह एक कविताओं का संग्रह है, इस किताब में मैंने बहुत सारे कविताओं को एक जगह इकट्ठा किया है। इस किताब में विभिन्न तरह के कविताओं को समाहित किया गया है और यह कविता अनेक बिंदुओं पर आधारित हैं। इस कविता के संग्रह की खासियत यह है कि यह सभी श्रोताओं को और सभी पाठकों को पसंद आएंगी क्योंकि इस कविताओं का जो कंटेंट है वह सभी बच्चों से लेकर बूढ़े तक यानी सभी सामान्य लोग भी आसानी से अपने शब्दों में इसे पढ़ सकते हैं। इस कविता के संग्रह में शब्दों की सरलता को देखते हुए बहुत ही सामान्य शब्दों का उपयोग किया गया है। यह कविता का संग्रह समाज के हर एक वर्ग पर आधारित है, इस कविता में समाज के हर एक बिंदुओं पर चर्चा की गई हैं। इस कविता की खास बात यह है कि यह किसी एक केंद्र बिंदु पर आधारित नहीं हैं बल्कि समाज के हर एक केंद्र बिंदु को समाहित की है।


About the book:
" বাঁধনহারা ঢেউ " জীবন বোধের কবিতা
নিজের অন্তর্নিহিত ভাব প্রকাশের নানা মাধ্যম থাকে। নাচ, গান, অভিনয়, সাহিত্য বিবিধ। কবি রাফিয়া সুলতানা নিজের পরিচিতি ঘটানোর মাধ্যম হিসাবে কবিতাকে গ্রহণ করেছেন। সাহিত্যের অঙ্গনে কবিতাকে আলাদা মাত্রা দেওয়া হয়। কবিতার বাইরে গল্পেও হাত দিয়েছেন এবং তা বই আকারে প্রকাশও হয়েছে ইতিমধ্যে। দীর্ঘ জীবনের অভিজ্ঞতায় সমৃদ্ধ হয়েই তাঁর এই পথ চলা।কর্মজীবন শিক্ষকতায় কাটিয়ে সাহিত্যজীবনে প্রবেশ… তাই বলা যায় জমে থাকা লেখাগুলোকে গ্রন্থাকারে গ্রথিত করছেন। এমন ভাবনা কম মানুষের মধ্যেই দেখা যায়।
রাফিয়া জীবনকে দীর্ঘদিন দেখেছেন। মনজগতের ভাবনাকে বিকশিত হতে দেখেছেন। এই ভাবনাগুলো যেন " বাঁধনহারা ঢেউ " - এর মত উচ্ছ্বাসে উচ্ছলিত হয়ে ফুটে বেরিয়েছে তাঁর কবিতার মধ্যে দিয়ে। তাই এই গ্রন্থ পাঠকের মনে যায়গা পাবে আশা রাখি।
নরেশ মণ্ডল কবি কথা সাহিত্যিক সাংবাদিক

About the book:
यह पुस्तक हमारे देश और विश्व में चल रहे विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर लिखी गई एक काव्य-संग्रह है। पुस्तक में 60 कविताएं संकलित हैं। पुस्तक में लिखी गई कविताएं देश में चल रहे वर्तमान सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को उजागर करती हैं। इस पुस्तक के द्वारा देश में चल रही समस्याओं जैसे बेरोजगारी, मूल्य वृद्धि, कोरोना संकट, राजनीतिक तनाव, सीमा विवाद और किसान आंदोलन जैसे मुद्दों को उठाया गया है.

About the book:
उल जुलूल बात करने की आदत नहीं हमे तो सीधा आपके दिल पे चलते है खोल देते है दिल क सरे दरवाजे और और बेनकाब कर देते है मोहब्बत को। इतने चेहले लगाए आखिर क्यों फिरती है ये मोहब्बत कुछ तो ख्याल किया होता इस बेजुबान दिल का जो खून से लतफत धड़कना भी छोड़ दिया इस आस में की वो रात आएगी बरसात में। इस कलश संग्रह में दो कवियों की सामूहिक रचनाओं को शामिल किया गया है जो आपके दिलो के हाल से लेकर रुहों से भी सवाल करेंगे। भूल के वो सारी कश्मकश दिल क दरम्यान छिपे ख़ामोशी को भी हासायेंगे। तो डालिये एक झलक इस तोहफा के अंदर और ढूंढ़ लीजिये अपना सारा हथियार जो आपके दिल को सुकून देता हो। प्यार को परिभाषित करने की बहुतो ने कोशिश की लेकिन इस मोहब्बत को कोई किसी तरह की जंजीर से बांध ही नहीं सकता। विस्वास नहीं होता न, तो एक बार लालच त्याग करके प्यार कीजिये बाकि विपिन और सत्येंद्र तरफ से मोहब्बत मुबारक हो

काव्य उन्मुक्त होता है, यह स्वच्छंद होकर विचरण करता है और जब हम इसे पढते है, तो हृदय पर एक अमिट छाप छोर जाता है। हमारे उद्विग्न हृदय को शीतलता का एहसास होता है। हमें आभास होता है कि जीवन को हम जितना कड़वा समझते है,उतना होता नहीं है। जब हम असह वेदना को अनुभव करते है, तब कविताएँ पढने से हृदय को शांति की अनुभूति होती है। जब हम समझते है कि जीवन की समस्याएँ खतम होने का नाम नहीं ले रही, तब कविता के माध्यम से नया विश्वास करवट लेता है। हमें फिर से नई चेतना का अनुभव करवाता है, नई ऊर्जाओं का संचार करता है। जीवन के प्रति हमारी रोचकता को बढाता है। कविता एक ऐसी प्रवाह है, जिससे हम अपने आप को अच्छुन्न नहीं रख पाते। कविताएँ लिखने का उद्देश्य भी यही होता है कि यह जन मानस के हृदय में उतर जाए, उसे नैसर्गिक आनंद की अनुभूति करवाए।

इंद्रधनुष नामक प्रस्तुत पुस्तक चोका विधा में रची गयी कविताओं का संग्रह है । चोका विधा हाइकु के समान ही एक जापानी विधा है जिसमें रचनाकार अपनी हृदयगत भावनाओं का अंकन करता है । चोका पाँच सात पाँच सात वर्णों वाली पंक्तियों की रचना है जो कम से कम नौ तथा अधिक से अधिक असंख्य पंक्तियों की रचना है । 'इंद्रधनुष' में कवियित्री डॉ.







इस किताब की रचना इश्क़ की कुछ बुनयादी मसाइल से प्रेरित हो कर की गयी है। इस किताब को लिखने से पहले मैंने सोचा कि इसमें ऐसी क्या ख़ास बात होनी चाहिये जो पढ़ने वाले के मन पर एक गहरी छाप छोड़ जाए। नई दुनिया के नए लहजे को मैं बखूबी समझती हूँ और मुझे उर्दू के लफ़्ज़ों की लज़्ज़त का अंदाज़ा भी है। ये वो सिलसिला है जो दो दिलों को जज़्बात-ए-हक़ के धागे में पिरोता है। इस किताब का हर्फ़ हर्फ़ मेरी और मेरे साथी शायर की ज़िन्दगी के उन एहसासात से जुड़ा है जो हमने इस जिस्म की कोठरी में गुज़ारी है।
इस किताब को लिखने का मक़सद महज़ इतना था कि जो बातें ज़ुबाँ पे आते आते रह गईं उन बातों को हर्फ़ हर्फ़ ढाल कर उर्दू के ज़ायके के साथ इस किताब 'सिलसिला' के जरिये आप तक पहुँचाना है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको इस किताब को पढ़ कर यूँ लगेगा कि ये आपके खुद की बयान-ए-जीस्त है। हम उम्मीद करते हैं कि ये सिलसिला आप सबको बेहद पसंद आएगा।





जीवन के अनेकों पहलुओं को संजोये रखने की एक छोटी सी कोशिश। 'सदा-ए-असद' किस्सा बयां करती है हमारी पहचान और हमारे समाज के बदलते चरित्र का। दिलों का दिलों से रूठना और कई पड़ावों पर जीवन में उथल-पुथल को एक छोटी सी किताब में नात, नज़्म और ग़ज़लों के माध्यम से लोगों तक पहुंचने की एक छोटी सी कोशिश की गयी है। एक-एक कविता को समय के एक-एक लिफाफे की तरह पेश किया गया है। उम्मीद है सुख़न की चाहत रखने वाले मेरे दोस्तों को यह कोशिश पसन्द आएगी और मेरे सम्पूर्ण विश्व की जनता जनार्दन इस कोशिश को कामयाब करेगी।
धन्यवाद


About the book:
"কেয়াফুলের মঞ্জরী"
আমার মা আখতারুম মণিরের জন্ম একটি সম্ভ্রান্ত ও সুশিক্ষিত মুসলিম জমিদার তথা তালুকদার বংশে। তাঁর মাতৃকুলের পুরুষ সদস্যগণও ছিলেন তদনিন্তন ব্রিটিশ সরকার ও বর্ধমানের তৎকালীন রাজপরিবারের উচ্চপদস্থ রাজকর্মচারী।
আমার মায়ের দুটি ডাক নাম ছিলো কেয়া ও কেকা। "কেয়াফুলের মঞ্জরী" তাঁরই দীর্ঘ অষ্টাদশ বছরের ঘটনাবহুল জীবনের বিক্ষিপ্ত কিছু ছোট ছোট ঘটনার স্মৃতিচারণ। প্রাকস্বাধীনতা আমলের কিছু ছড়ানো ছিটানো ইতিহাস। এবং সর্বোপরি তাঁর রোগ জর্জরিত, অশক্ত শরীরের মধ্যে বাসা বেঁধে থাকা অজীর্ণ ও অমলিন একটি মননের অবসর কালীন কিছু প্রলাপ,বিলাপ ও আনন্দোচ্ছ্বাসের বহিঃপ্রকাশ বা প্রতিলিপি ।
বিশেষ করে, বিভিন্ন সময়ে মায়ের কাছে শোনা গল্পগুলো ও মায়ের আদি বংশধরদের ইতিহাস … সর্বোপরি আমাদের পরবর্তী প্রজন্মের কাছে এটা একটি মূল্যবান নথী ও চরম গৌরবের একটি বস্তু বা অন্যতম গৌরবময় ঐতিহাসিক একটি দলিল… রাফিয়া সুলতানা





